बच्चों को सोशल मीडिया साइट्स से बचाने की पहल
आज के समय में जितना अधिक इस्तेमाल बड़े सोशल मीडिया का कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा इस्तेमाल सोशल मीडिया का बच्चों में है|
इसी की वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव, क्रोध, भय, और कई और ढेर सारी परेशानियां देखने को मिल रहे हैं| इनके चलते बच्चों के विकास में उनकी सोच में और काम करने और पढ़ाई करने की शैली में बहुत बदलाव आते जा रहे हैं|
बच्चों में हो रही ऐसी बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को ब्रिटेन सरकार ने देखते हुए यह फैसला लिया है कि जल्द ही सभी लोकप्रिय सोशल मीडिया कंपनियों को इसके लिए एक नियम बद प्रणाली के तहत है बच्चों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को करने की छूट दी जाएगी|
जिसके लिए कि ब्रिटेन सरकार ऐसी सभी एप्लीकेशंस और वेबसाइट के लिए एक प्रतिबद्ध समय स्थापित करेगी कि बच्चे केवल कुछ ही समय के लिए दिन भर में इन एप्लीकेशंस या वेब साइट्स का इस्तेमाल कर पाएं|
ऐसा करने से बच्चे चाहते हुए भी ऐसी वेबसाइटों पर अधिक समय नहीं बिता पाएंगे और इसके चलते वे दूसरे कामों में अपना ध्यान लगाएंगे|
बच्चों के प्रति सरकार का प्रेम
ब्रिटेन सरकार बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित और सक्रिय है जिसके लिए की यह कुछ ऐसे काम करने जा रहे हैं जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकेगा
- बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बहुत ही अधिक फिक्र मंद है ब्रिटेन सरकार
- सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बना रहा है कुछ महत्वपूर्ण नियम
- ब्रिटेन स्वास्थ्य मंत्री मैट हेनकोक ने फेसबुक पर हमला बोल दिया है
- सोशल मीडिया के बढ़ते अतिक्रमण और इससे हो रही परेशानियों को समझते हुए ब्रिटेन सरकार ने यह फैसला लिया है
लंदन: सोशल मीडिया का बच्चों पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पढ़ रहा है जिससे कि ब्रिटेन सरकार बहुत ही चिंतित है और बच्चों को इन साइटों और एप्लीकेशंस के इस्तेमाल से कैसे दूर किया जाए इसी के लिए जल्द ही ब्रिटेन सरकार इन साइटों और अपों के इस्तेमाल के लिए दिन में एक समय निर्धारित करेगी|
इस योजना के निर्देश ब्रिटेन स्वास्थ्य मंत्री ने दे दिए हैं और वहीं दूसरी तरफ फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनियों पर हमला बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि ऐसी सोशल मीडिया कंपनियां अपने खुद के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं|
इसी के आगे स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि “ एक पिता के तौर पर मैं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के प्रभाव के बढ़ते सांसों को लेकर बहुत ही फिक्र मंद हूं | बच्चों द्वारा सोशल मीडिया के बेलगाम इस्तेमाल से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ रहा है और जिससे कि बच्चों का सही विकास हो पाना मुमकिन नहीं है|
दिशा-निर्देश का प्रारूप
इसी क्रम में ब्रिटेन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डेम सेली डेविस को दिशा-निर्देश का प्रारूप तैयार करने का प्रभारी नियुक्त किया गया है| यही वह दिशानिर्देश तय करेगा कि सोशल मीडिया पर बच्चों को कितना वक्त बिताने देना है या दिन का कितना समय बच्चों के लिए उपयुक्त होगा सोशल मीडिया पर बिताना|
हेनकोक ने ऑब्जर्वर नामक अखबार से यह भी कहा कि “ माता पिता यह कह सकते हैं कि नियम कहते हैं कि निश्चित वक्त से ज्यादा आपको सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए’” इसलिए हमारे पास समाज को बेहतर बनाने के लिए और समाज की तरफ से फैसला लेने के लिए एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं ताकि स्कूलों और माता पिता को निर्णय ना करना पड़े|
ब्रिटेन सरकार की पहल
ब्रिटेन सरकार की इस पहल को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह सरकार अपने बच्चों उनके भविष्य और अपने देश की भविष्य को लेकर कितनी चिंतित है| और यह केवल उसी एक देश की परेशानी नहीं है कि बच्चे बूढ़े हर कोई सोशल मीडिया की गिरफ्त में बहुत ही बुरी तरीके से फंस चुका है|
आज के समय में कोई भी व्यक्ति एक छोटा सा काम भी करता है तो सबसे पहले उसकी सेल्फी लेकर इंस्टाग्राम फेसबुक ट्विटर जैसी बहु प्रचलित सोशल मीडिया साइट्स पर जरूर डालता है|
आपको यह भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि सेल्फी कितनी ही बीमारी बन चुकी है लोगों के बीच में| हालांकि पिछले कुछ महीनों से सेल्फी लेते हुए हादसों की घटनाएं कुछ हद तक कम हुई है|
लेकिन अगर थोड़ा पहले की बात करें तो आए दिन समाचार में न्यूज़ में आपको यह देखने को मिल जाता था या पढ़ने को मिल जाता था कि कोई सेल्फी लेने के चक्कर में कहीं से गिरकर मर गया या डूब गया|
तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब बड़े समझदार पढ़े-लिखे अनुभवी लोग इसकी गिरफ्त से नहीं बच पा रहे हैं तो बच्चों पर जो कि नासमझ होते हैं जिनका दिमाग मस्तिष्क एक विकास की प्रक्रिया में होता है|
उन्हें सही गलत का ज्यादा अनुभव नहीं होता है बस किसी भी चीज को करने में तेज होते हैं लेकिन वह चीज सही है या गलत है इसकी ज्यादा समझ बच्चों में नहीं होती है| यहीं पर बड़ो के मार्गदर्शन और सुझाव की जरूरत पड़ती है|
क्या बच्चों के दुश्मन उनके मां-बाप खुद हैं ?
पढ़ने में जरूर यह थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन यह एकदम सच है कि आज के समय में माता पिता ही बच्चों के दुश्मन बनते जा रहे हैं| वैसे भाग दौड़ भरी जिंदगी में इतना समय नहीं होता है कि मां बाप बच्चों पर अधिक समय दे पाए|
यह इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि ज्यादातर मां-बाप अपना ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर ही बिताते हैं और इसी वजह से बच्चे भी यही देखते हुए अपना ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं|
सोशल मीडिया पर समय बिताना यह एक खालीपन को दर्शाता है जिसको भरने के लिए व्यक्ति सोशल मीडिया पर ही ज्यादातर समय अपना बिताता है|
वैसे तो आजकल अगर बच्चा रो रहा है या परेशान कर रहा है तो उसे मोबाइल दे दो वह उसमें व्यस्त हो जाएगा और आपको परेशान नहीं करेगा| यह तरीका इतना सामान्य हो गया है कि ज्यादातर लोग यही करते हैं और यहीं से शुरुआत होती है बच्चे में मोबाइल और मोबाइल के इस्तेमाल करने की आतुरता|
यहीं से शुरुआत होती है इस बीमारी की जिस की गिरफ्त में बच्चा धीरे-धीरे पता चला जाता है| तो यह ध्यान देने वाली बात है कि बच्चों में इसका क्रेज कई हद तक घर और मां बाप के द्वारा ही पैदा किया जाता है| हम कई हद तक इसको अपनी समझदारी से कम कर सकते हैं| और बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य और बेहतर सोच समझ के काम करने शिक्षा दे सकते हैं|
क्यों बच्चे मोबाइल और सोशल मीडिया के प्रति आकर्षित रहते हैं ?
वैसे तो इस सवाल का जवाब आपके पास पहले से ही मौजूद है| क्योंकि अगर आप भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो आप खुद बहुत बेहतर तरीके से जानते हैं कि आप क समय कितनी तेजी से इस पर भी जाता है और आपको पता तक नहीं चलता है| जब बड़ों को इस पर बिताया गया समय का आभास नहीं होता है तो फिर छोटे बच्चों को कितनी अधिक समझ होती है|
सोशल मीडिया और मोबाइल को एक चॉकलेट के आधार पर समझना चाहिए| बड़ों को पता है कि एक चॉकलेट यादव चॉकलेट से ज्यादा बच्चे को देना नुकसान दे है और रात में सोते समय खिलाना और भी ज्यादा नुकसान दे है|
लेकिन बच्चे को अगर बिना किसी रोग दोगे यह दिन भर मिलती रहे तो खाता ही रहेगा| क्यों बच्चे को अंजाम की फिकर नहीं होती है क्योंकि उसे पता ही नहीं होता है कि अंजाम इसका क्या होगा| उसको बस ऐसा करने में मजा आता है ऐसा करता रहता है|
यह आपका और हमारा फर्ज है कि हम बच्चों को सही मार्गदर्शन और सही तरीके से हैंडल करें ना की मारपीट के या डांट के| ऐसा करने से बच्चों में आपके प्रति दूरियां आ सकती हैं|
क्या करना चाहिए आपको?
कुछ आसान से उपाय हैं जिनके इस्तेमाल से बच्चों को ऐसी गंभीर समस्याओं और बीमारियों से दूर रखा जा सकता है –
- कोशिश करिए की बच्चों के साथ खुशनुमा और ज्यादा समय बताइए
- बच्चों को पीटने और डांटने की बजाय प्यार से और समझा कर काम कराइए
- पढ़ने खेलने और बाकी कामों के लिए एक संतुलित समय बनाइए
- हमें आभास नहीं होता है लेकिन बच्चे की रूपरेखा हमारी ही रूपरेखा पर निर्भर करती है
- बच्चों के नकल करने की क्षमता बहुत तेज होती है इसलिए हमेशा सतर्क रहिए कि आप व्यवहार और बोलचाल कैसा रख रहे हैं बच्चों के सामने
- बच्चों के साथ इतना विश्वास बना के रखिए कि कोई भी काम करने से पहले एक बार आपको जरूर बताएं ना कि आप से डर कर वह आपको कुछ भी ना बताएं
समस्याओं का हल हमेशा हमारे आसपास या हमारे पास ही होता है| जरूरत होती है उसे सही समय पर समझ के करने की| या किसी अपने से समझ कर करने की|
बच्चों में सोशल मीडिया का प्रकोप यह कोई साधारण बात नहीं है और इसे साधारण समझ कर छोड़ देना यह और भी गंभीर विषय हो सकता है|
खबरों को अपनों से साझा करना और उन्हें देश दुनिया में हो रही हलचल के बारे में बताना एक अच्छी बात है तो आप कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी को केवल अपने तक सीमित ना रहने दें इसे अपनों तक जरूर पहुंचाएं|
मस्त रहिए और पढ़ते रहिए फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ जल्दी ही|
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